Saturday, July 25, 2020

क्युं ख्वाहीश करूं

क्युं ख्वाहीश करूं

क्युं ख्वाहीश करूं घने बादलोंको छुनेकी जब आपकी झुल्फोंके घने साये मेरे हैं !

क्युं तरसूं बादल के पिछे छुपे सूरजको जब आपका मुख देख सकता हूं झुल्फोंके साये मे से!

क्युं चाहूं गुलाबकी पंखूडी को जब आपके होटोंकी पंखूडी मै चूम सकता हूं !

मखमल मुझे कोई राहत नही देती क्युंकी आपके स्पर्श के सामने वह कुछभी नही !

आपके बाहोंका हार भुला देता है फूलोंके हार, और मेरा दिल भी जात है हार !


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