Thursday, July 2, 2020

याद AUR बेताबी


याद
याद इतनी क्यों आती है, चैन क्यों ले जाती है,
यह दिल कब जानेगा के कुछ दिन बाद प्यार तो फिर सामने होगा.
मेरी यादों को अल्फाझ दे दो, अल्फाझोंको सूर दे दो.
सूर जो दिलको करार दे,
सूर जो यादों को दोस्त बना दे.
अल्फाज और सूर का मिलन होने दो, हमारा आपका मिलन होने दो,
फिर यादों और अल्फाजोंकी क्या जरूरत, तब तो सिर्फ आंखे और धड़कन बात करेंगी.

बेताबी

केहनेको तुम पास नहीं, पर तुम्हारी खुशबू है यहां.
होटोंकी दो पंखडी चूमनेको बेताब,
गालोंकी गुलाबी चुरानेको बेताब,
यह बेताबी नहीं ईश्ककी नादानी है.
हुस्नको यह बात कब समझ आनी है
नादान ही सही ईश्क तो हुस्न का दिवाना है
जाने कब हमारा मिलन होना है !
उम्र ढल रही है पर दिल जवान है,
हुस्न को प्यार करने इश्क बेताब है,
कितना मुष्कील है आपसे दूर रेहना..
मालूम है ??

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