Friday, July 10, 2020

इंतज़ार, इश्क और इम्तिहान

इंतज़ार

जिंदगी यूंही चली जा रही थी, एक कोने मे दोस्ती और मोहब्बत पड़ी थी.

अचानक जिंदगीने मोड बदला,

दोस्ती कोने से निकल आई, रात बदली दिन बदला…..अब बस इंतजार था मोहब्बत का !

पीछे छुटी मोहब्बत एक मीठा दर्द दे गई, हसीन यादें दे गई.

बीते वक्त मे कौन जीना चाहता है जालिम,

हमे तो इंतजार है एक नई सुबह का, नए एहसास का !


इश्क और इम्तिहान

इश्क बेचैन है, बेक़रार है, कशमकश मे है.

पर इश्क जानता है के प्यार इम्तिहान ले रहा है.

बस कुछ पल इंतजार और प्यार के दीदार तय हैं.

आखोंमे डूब जाना चाहता हूं पर आंखे बंद कर लेती हो,

होटोंको छूता हूं तो मुह फेर लेती हो.

यह कैसा इम्तिहान है जिसमे होटोंकी लाली चुरानाभी जुर्म है !

इश्कमे आदमी निकम्मा हो जाता है, भीडमे अकेला हो जाता है,

जानम क्या आपको भी ऐसा होता है ?


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