Saturday, July 25, 2020

क्युं ख्वाहीश करूं

क्युं ख्वाहीश करूं

क्युं ख्वाहीश करूं घने बादलोंको छुनेकी जब आपकी झुल्फोंके घने साये मेरे हैं !

क्युं तरसूं बादल के पिछे छुपे सूरजको जब आपका मुख देख सकता हूं झुल्फोंके साये मे से!

क्युं चाहूं गुलाबकी पंखूडी को जब आपके होटोंकी पंखूडी मै चूम सकता हूं !

मखमल मुझे कोई राहत नही देती क्युंकी आपके स्पर्श के सामने वह कुछभी नही !

आपके बाहोंका हार भुला देता है फूलोंके हार, और मेरा दिल भी जात है हार !


Friday, July 24, 2020

पागल दिल

पागल दिल💕

आखोंके सामने हरीयाली और दिल मे तुम

दिवाने दिल को समझाए की नही हो पास तुम.

दिल पलटके सनाल करता है

"फिर दिल मे जो बैठा है वे कौन है?"

क्या समझाए पागल दिल को के इतना काफी नही है.

पागल दिल केहता है आप इतना हमे प्यार ना करो के सपने मे भी आपका खयाल करें !

सपने तो अपने नहीं होते, आंख खुलते पराए हो जाते हैं.

सपने का वक्त हमारे साथ बिताएं, जिंदगी और हसीन हो जायगी.

दिल इतना प्यार करता है आपसे, नही रेह सकता दूर आपसे.

इस दिल की तडप का क्या करें जो आपकी पलभर की जुदाई बरदाश्त ना करे.


तू अशी जवळी रहा ❤.

तू अशी जवळी रहा ❤.

तुला पाहिले मी पाठीवर केस मोकळे सोडूनी

मन क्षणभर भरकटले सर्व फिक्र सोडूनी !

झटकत ओले केस मान वळवून

वाटले जावे आणी ध्यावे जवळ कवळून !!

नहालेले ताजे सौंदर्य उष्ण शरीर

डोळे खिळले, मन स्पर्श करीत होते शरीर

अलगद अलगद हळूवार हळूवार,

तेवढ्यात वर होऊन नाजूकसा आळस दिलास.

केस मागे, वर झालेले वु्रक्षस्थळे, मिटलेल्या पापण्या…..जीवाला हरवून टाकणारे !

हरवलो, श्वासोश्वास वाढला आणी तुझा आळस

संपायच्या आत पोचलो तुझ्या मीठीत !!!

दूरवर गाणे ऐकू येत होते…..तू अशी जवळी रहा ❤.


Tuesday, July 14, 2020

शुभ रंगपंचमी प्रेमाची

शुभ रंगपंचमी प्रेमाची

गुलाल तुझ्या ओठांत वसतोतर लालउन्हात तापलेल्या तुझ्या गालात.

तू जेव्हां स्मित करतेस ह्रुदयात हिरव्या पालव्या फुटतात तरशांत झोपतेस तेव्हां...शांत आकाशाचा नील रंग नजरेसमोर यतो.

पण जेव्हां मी तुझ्या जवळ असतो तेव्हां हे सारे रंग धमाकुळ घालून इंद्रधनुष्य़ होतात.

आणी जेव्हां तू दूर असतेसहेच रंग निर्जीव सफेद होतात….निर्जीव सफेद होतात !


शिकायत

शिकायत

सूरज की किरणें तुम्हें छुती हैं

हवा झोंका झुल्फोंको छेडता है

कंगन तक तुम्हें चीपकते हैं

जान, मुझे इनसे जलन होती है.

कुछ तो कहो उनसे, जलन शायद कम हे जाए !




Friday, July 10, 2020

बेताबी....वो नज़दीक नहीं

बेताबी

केहनेको तुम पास नहीं, पर तुम्हारी खुशबू है यहां.

होटोंकी दो पंखडी चूमनेको बेताब,

गालोंकी गुलाबी चुरानेको बेताब,

यह बेताबी नहीं ईश्ककी नादानी है.

हुस्नको यह बात कब समझ आनी है

नादान ही सही ईश्क तो हुस्न का दिवाना है

जाने कब हमारा मिलन होना है !

उम्र ढल रही है पर दिल जवान है,

हुस्न को प्यार करने इश्क बेताब है,

कितना मुष्कील है आपसे दूर रेहना..

मालूम है ??

 

वो नज़दीक नहीं

मिलना तो दूर दीदार भी नहीं,

कैसे गले लगाए जब वो नज़दीक ही नहीं.

प्यारमे इश्क के तरसनेसे दर्द होता है,

क्या यह वो जालीम हुस्न जानता है ?

बलखाते बादल मेरे चांद को ना छुपाना,

अभी अभी तो दिदार हुए हैं

जरा जी भर के देख तो लूं….आखोंमे छुपा तो लूं !