Sunday, January 9, 2022

वक्त

 

वक्त को जो उडालेता था कभी, आज वक्त ने उसे जकड दिया. साथ चलते ते जो, आज खिडकी मे बैठे देख रहें हैं.

वक्त ने बहोत सिखाया, कभी धोबीपछाड तो कभी गले लगाया.

वक्त को समझो, उसे आपको समझानेका वक्त नाही.

जो पल मिलते हैं उनकी कदर करो, क्यौंकी जो बीत गया सो बीत गया, वो पल फिर नही आऐंगे. 

एक ज़माना था मैं वक्त को ठुंडता था, आज ये दौर है, मेरे पास वक्त ही वक्त है.

खुश हूं, अपनों के लिए तो बहुत जी लिया, अब मैं अपने लिए जी सकता हूं.

कभी कभी वक्त थक जाता है बैठे बैठे, मैं अपनी कहानी और कवीता सुनाकर उसका मन बेहला देता हूं....बैठे बैठे.

जब खालीपन महसूस होता है, तो खाली प्याला जाम से भर देते हैं, मैं और वक्त मदहोश हो जातें हैं.

1 comment:

  1. वाह वाह क्या आप ने लिखा है 👍

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