Wednesday, September 16, 2020

जिंदगी और दर्द

 

जिंदगी और दर्द

क्युं कोई मेरे साथ परेशान रहे

जिंदगी अकेले जी लेंगे, कोई परेशान क्युं रहे.

अबतक जीते आए गम पिते आए, थोडा और गम सही

कोई मेरेलिये परेशान क्युं रहे.

जिंदगीमे कई मोड आए, कुछ अच्छे कुछ बुरे.

कई लोग मिले, कुछ अच्छे कुछ बुरे कुछ प्यारे.

पर दर्द सिर्फ प्यारोंने दिया,

शायद मेरे प्यारमे कमी रही.

ऐ जिंदगी और कितने गम देगी

क्या मेरी 'जान' से अलग करके ही थमेगी ?

अब थक गया हूं झूंझते, झूंझनेकी ताकत न रही

कुछ पल मेरी ' जान' के साथ नही दे सकती ?

पहाट तुझ्याशिवाय

 

पहाट तुझ्याशिवाय

धुंधळी पहाट, पावसाची रिपरिप

पानांनवरती बिंदू पडतात टिपटिप.

फुलांवर दवबिंदू आणि आकाशात उगवता रवि बंधू !

प्रकाश पडताच दवबिंदू चमकला आणि वाटले दिवस उजाडला.

पक्ष्यांचा चिवचिवाट आणि त्यात पावसाची बरसात

वसुंधरा चिंब होउन जणू नाचते जोषात.

अशी आहे ही पहाट जी तुझ्याशिवाय आहे पहात !

हो गए तुम्हारे

 हो गए तुम्हारे

ना शिकवा ना गिला रहे आप से

तमन्ना है बस एक सिलसिला रहे आपसे

हँसकर फिर रोना नही चाहते

पाने की चाह नही बस आपको खोना नहीं चाहते.

आपको चाहते ही नहीं बल्के आप हमारी रूह है,

रूह अलग हो जाए तो जिस्म किस काम का !

हसीन पल तुम्हारे आगोष मे गुजारे

बदन की खुशबू और शर्रारे

दिल कायल हो गया प्यार के तुम्हारे

अब जान….लगता है हो गए पूरे के पूरे तुम्हारे