कुछ रिशतोंके नाम नही होते -
बादल बिजली....एक गरजता है तो दूसरी कडकती है.
दूध शक्कर.....अलग नहीं कर सकते.
चंदन पानी....मीलते ही निखर आते हैं.
माला का धागा....इसका और फूलोंका नाता, एक दूसरे के बगैर अधुरा.
हुस्न और इश्क....नाम दोनो का साथ लिया जाता है.
दिया बाती...मिलके उजाला करतें हैं.
नदी किनारा....हमेशा साथ.
सूरज हे किरण का नाता....एक साथ आते हैं एक साथ जाते हैं.
सागर का लेहरोंसे नाता....उमड उमड कर खेलते हैं !
रिश्तों का नाम न देना ही अच्छा होता है ज़मीन आसमा कभी नहीं मिलते 🙏
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