Wednesday, October 25, 2023

Walking into the fog

 

Walking into the fog

Walking into the fog faraway,

Journey of loneliness...it's a long way.

Clouds hangover and follow,

The darkness fills the heart with sorrow.

The lone mynah follows you,

You are alone ...reminding you.

All these years people milled around, 

Where are they ? I see no one when I turn around.

Your own are now not your's,

Maybe they were never yours ?

Illusions clutter the mind, we run after the mirage,

Alaas, if someone had told mirage is just an illusion.

Birth is matter of chance,

Life makes you dance,

In the sunset of life you don't get a second chance,

Just Walk into the fog !

बदललेले जग, उतार वयात !

 

बदललेले जग, उतार वयात!

निवृत्तीचा आभास स्वतःला नाही होत

निवृत्तीची जाणीव दूसरे करुन देतात!

घरी बसून आठवणींच्या जगात रमत असतो,

विरंगुळा म्हणून कविता करणे पण आता फरक असतो कवितेच्या शब्दात,

आधी प्रेम आनंद असे तर आता एकटेपणाचा भाव असतो.

सगळे आपापल्या संसारात कामात मग्न,

तर माझ्या हाताला काम नाहीं जोडीला कोणच नाही.

चेहरे आणि मुखवटे आठवतात,

आपला एक चेहरा त्यावर हसरा मुखवटा !

उगीच बाहेर निघतो पण कशाला हे अनेकदा माहीत नसते,

 वेळ घालवणे हेच डोक्यात असते.

शून्य विचार डोक्यात असणं काय असतं ह्याची प्रचिती येते,

कोणा बरोबर कधी संवाद झाला हे पटकन आठवत नाही बहुतेक खूप दिवस झाल्याची प्रचिती येते.

घरात फेऱ्या मारुन पाय दमतात, डोळ्यात अश्रू येतात, घड्याळ डोळे अनेकदा बघतात पण वेळ पुढे सरकत नाही‌‌, आठवणींच्या जगात बहुधा वेळ थांबलेलाच असतो!


 

Sunday, January 9, 2022

वक्त

 

वक्त को जो उडालेता था कभी, आज वक्त ने उसे जकड दिया. साथ चलते ते जो, आज खिडकी मे बैठे देख रहें हैं.

वक्त ने बहोत सिखाया, कभी धोबीपछाड तो कभी गले लगाया.

वक्त को समझो, उसे आपको समझानेका वक्त नाही.

जो पल मिलते हैं उनकी कदर करो, क्यौंकी जो बीत गया सो बीत गया, वो पल फिर नही आऐंगे. 

एक ज़माना था मैं वक्त को ठुंडता था, आज ये दौर है, मेरे पास वक्त ही वक्त है.

खुश हूं, अपनों के लिए तो बहुत जी लिया, अब मैं अपने लिए जी सकता हूं.

कभी कभी वक्त थक जाता है बैठे बैठे, मैं अपनी कहानी और कवीता सुनाकर उसका मन बेहला देता हूं....बैठे बैठे.

जब खालीपन महसूस होता है, तो खाली प्याला जाम से भर देते हैं, मैं और वक्त मदहोश हो जातें हैं.

Monday, December 13, 2021

यादोंमे जान होती तो

 

यादोंमे जान होती तो

यादें, या तो ताजा़ होती हैं या तो भूली जाती हैं. अगर यादोंमे जान होती तो आवाज लगाके पास बुलाता !

यादोंमे जान होती तो पास बिठाके बातें करता, गुफ्तगू करता.

यादोंमे जान होती तो नानी के पीतल के डिब्बे से लड्डू चुराता, और रात को कहानी सुनते सुनते नानी की गोदमे सो जाता.

यादोंमे जान होती तो भाईयों के साथ मस्ती करता, आई की डांट खाता और फिर उसे मनाने क दिले मस्का लगाता.

यादोंमे जान होती तो रेडीयो उंची आवाज मे लगाता, और पिताजी की आवाज सुनतेही....'सहगल' लगाता.

यादोंमे जान होती तो आवाज मे आवाज मिलाकर गाना गाता, भले बेसुरा, पर अपने के साथ तो गाता.

यादोंमे जान होती तो साथ साथ घुमने निकलता, समंदर किनारे रेत मे नाम लिखता.

यादोंमे जान होती तो दोस्तों के साथ मटरगस्ती करते नुक्कडपे होता, तो कभी गलीमे गिली डंडा खेलता, किसी के खिडकी की कांच तोडता.

यादोंमे जान होती तो फिर से सखीयोंके साथ वक्त बिताता, बेफजूलकी बातें करता.

यादोंमे जान होती तो फिर से किसी के गालोंपर पडते सूरज किरण देखता, उन्हे लाली चढते देखता.

यादोंमे जान होती तो कुछ यादोंको दूर भेजता, कभी न आनेके लिए.

उफ्फ ये यादें !!!

Friday, December 10, 2021

कुछ रिशतोंके नाम नही होते-

 

कुछ रिशतोंके नाम नही होते -

बादल बिजली....एक गरजता है तो दूसरी कडकती है.

दूध शक्कर‌.....अलग नहीं कर सकते. 

चंदन पानी....मीलते ही निखर आते हैं.

माला का धागा....इसका और फूलोंका नाता, एक दूसरे के बगैर अधुरा. 

हुस्न और इश्क....नाम दोनो का साथ लिया जाता है.

दिया बाती...मिलके उजाला करतें हैं.

नदी किनारा....हमेशा साथ.

सूरज हे किरण का नाता....एक साथ आते हैं एक साथ जाते हैं.

सागर का लेहरोंसे नाता....उमड उमड कर खेलते हैं !

Wednesday, April 21, 2021

खामोशीकी आवाज

 

खामोशीकी आवाज

क्या खामोशीकी आवाज सुनी है?

दिल की आवाज सुनी हैै, दिलकी धडकन सुनी है पर खामोशी की आवाज दिल चीर देती है.

अकेले कई पल गुजरते हैं तो खबर ही नही पडती के कब, अपने आपसे बातें शुरू हुईं.

चुप रहनेकी आदतसी हो रही है, अब तो बातेंकरतेही जुबान थक जाती है.

एक दौर था, बातें करते-बनाते जुबान मजे लेती थी पर अब….

अकेलेमे साया ही साथ होता है यह अब समझ रहा है.

कभी खुदसे तो कभी सायेसे बातें होतीं हैं, वक्त गुजर जाता है.

दोस्तोंके सहारे हंसलेता हूं वरना गुंगा हो जाऊं.

Wednesday, September 16, 2020

जिंदगी और दर्द

 

जिंदगी और दर्द

क्युं कोई मेरे साथ परेशान रहे

जिंदगी अकेले जी लेंगे, कोई परेशान क्युं रहे.

अबतक जीते आए गम पिते आए, थोडा और गम सही

कोई मेरेलिये परेशान क्युं रहे.

जिंदगीमे कई मोड आए, कुछ अच्छे कुछ बुरे.

कई लोग मिले, कुछ अच्छे कुछ बुरे कुछ प्यारे.

पर दर्द सिर्फ प्यारोंने दिया,

शायद मेरे प्यारमे कमी रही.

ऐ जिंदगी और कितने गम देगी

क्या मेरी 'जान' से अलग करके ही थमेगी ?

अब थक गया हूं झूंझते, झूंझनेकी ताकत न रही

कुछ पल मेरी ' जान' के साथ नही दे सकती ?